गर्मियों के दिन थे.... कड़कती धुप और उस स्टेशन पर बस के इंतज़ार मे खड़े लोग..... उस भीड़ मे ज्यादादर बच्चे यूनिवर्सिटी से थे.... गर्मियों के वाकेशन मे सब बच्चे अपने घरों को लोट रहे थे....|
उसी भीड़ मे एक ब्रेच पर एक लड़की बैठी थी.. ब्लू जींस पर एक धारियों वाला ढीला शर्ट.... खुले सीधे बाल... पर चेहरा रूहानी सा हो रखा था... आँखो और नाक पर पड़ते हलके लाल कलर साफ बता रहे थे की शायद वो कल पूरी रात रोइ थी....|
ठीक ब्रेच के पीछे एक लड़का अपना शरीर पास के खम्भे पर टिकाये हुए खड़ा था..उसने ब्लैक कलर का हुड्डी.. और ब्लू जीन्स पहन रखी थी... और सर पर ब्लैक कलर की कैप.....उसकी नज़र उस लड़की पर थी.... उसे बुरा लगा रहा था उसकी हालत देख पर वो कर वही क्या सकता था...|
थोड़ी ही देर मे एक बस उनके सामने आकर खड़ी हुए... लड़के ने बस को देखते ही पहचान लिया की ये उन्ही की बस है... उसने दोबारा उस लड़की की तरफ देखा और अपना और उसका लगेज लेकर बस की डिक्की मे चढ़वाने लगा.... सामान रखते ही उसने उसे बुलाया और इशारा करते हुए बस की तरफ बुलाया "प्रेक्षा..... "
उसने कोई जवाब नहीं दिया... पर खड़ी हुए और सीधा जाकर बस मे चढ़ी...
"किस नाम से बुक करी सीट " कंडक्टर ने उस लड़के से पूछा
"अविरल.. नाम से होंगी " उस लड़के ने कहा
"हा.. हा.. मिल गयी वो तीसरे नम्बर वाली "
अविरल आगे था और उसके पीछे प्रेक्षा... अविरल रुका और प्रेक्षा को खिड़की वाली साइड जाने दिया उसे पता था की वो हमेशा उस तरफ बैठती है... और वो भी उसके पास बैठ गया... बस के रवाना होने मे अभी वक्त था..|
दोनों बैठे ही थे के अचानक प्रेक्षा की नज़र बाहर की तरफ खड़े एक लड़के और लड़की पर गड़ गयी.. वो दोनों कुछ प्यार भारी बातो के साथ अलविदा कह रहे थे... अविरल की नज़र भी उन पर पड़ी..|
कितने बेशर्म होते है ना कुछ लोग... कल रात जो उन लोगो मे प्रेक्षा के साथ किया उसके बावजूद उन्हें कोई गिल्ट नहीं था..|
उन दोनों की नज़र जब बस मे बैठे प्रेक्षा और अवि पर पड़ी तो अवि ने बस की विंडो पर लगे पर्दों को जोर से खींचते हुए बंद कर दिया...प्रेक्षा रोने की कतार पर थी ही की अवि ने अपनी कैप उतार कर उसे पहना दी...|
बस रवाना हो गयी.... थोड़ी देर मे उस भीड़ भाड़ वाले शहर को पीछे छोड़ बस अब पहाड़ी इलाके मे घुस रही थी... शुद्ध ताजी ठंडी हवाएं और पहाड़ो की पडती छाव... प्रेक्षा ने पर्दों को हटा कर विंडो को खोल दिया... सर पर पहनी कैप को हटाया और बिना पीछे मुढ़े अवि की गोद मे रख दी और खिड़की पर सर टिकाये बाहर की और देखने लगी.....|
कल रात जब उसने विराट को उस लड़की के साथ देखा तब मानो एक बार फिर उसकी जिंदगी पर सवाल खड़ा हो गया... वो चाहने लगी थी उसे... जब वेलेंटाइन के दिन सब सीनियरस उसके पास आये तो उसे लगा था आज बुली करेंगे.. पर उस भीड़ मे विराट मे आगे आकर उसे प्रपोस किया... ये पहली बार था उसके साथ.. मन मे सवाल तो थे की कही जल्द बाजी तो नहीं पर हां कह ही दिया.... उसके बाद अपना सारा वक्त उसी को दिया... और उसे लगा वो समझने लगा है उसे ... दो साल से साथ थे.. पर कल जब मेने उसे उस लड़की के साथ देखा... तो उसे कहां भरोसा हो रहा था अपनी आँखो पर.. लेकिन जब सामने से उसने उससे सब ख़तम करने की बात कही तो उसका भरोसा छीन भीन सा होते दिखा.....|
"अब सवाल ये नहीं की क्या हुआ... कैसे हुआ.. और क्यों हुआ... बात ये है की अब कैसे कैसे मे निकलूंगी इस दुख को... जो पीड़ा उसने दी मुझे... कैसे भुलाऊ उसे.....|"
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