बस अब शहर को पीछे छोड़ पहाड़ी इलाकों की तरफ बढ़ने लगी थी... ये आरवली की पहाड़िया थी .... कई घाटियों के बिच से गुजर कर बस अब एक टाउन मे आ पोह्ची.. ये टाउन ज्यादा बड़ा नहीं था पर आसपास के गांव के सारे लोग यही आकर जरूरत का सामान खरीदते थे... |
अविरल और मीरा का गांव भी बस अब कुछ ही आगे था... इस टाउन से भी उनकी कई सारी यादे जुडी हुई थी... आधी से ज्यादा बस तो यही पर खाली हो गयी... थोड़ी देर बाद उनका गांव आया...बस गांव के बाहर के एक पूल पर रुका करती थी... ऐसे पार करते ही गांव साफ दिखाई देता था |
दोनों ने अपना अपना सामान लिया और उस पूल को पार करने लगे... शाम का वक्त था... आसमान मे छायी लालिमा जो पूल के आसपास की पानी की नेहरो पर थी... प्रेक्षा आगे और अविरल उसके पीछे पीछे था....|
थोड़ी देर मे दोनों को अपने घर साफ साफ दिखने लगे... प्रेक्षा अचानक चलते चलते रुक गयी और अविरल से बोली
"यूनिवर्सिटी मे जो हुआ.. दादी को कुछ मत बताना "
"हम्म.." एक हल्का सा इशारा करते हुए अविरल चलता रहा
ब्रेकअप का दुख प्रेक्षा को था पर ना जाने क्यों अविरल का मन भी उदास था... वो जैसा हमेशा होता है वैसा कँहा था... उसकी आवाज़ मे पता नहीं केसी नाराज़गी या दुख था.....|
वो दोनों अपने घर के पास पहुंचे,दोनों के घर आमने सामने थे... घर के बाहर एक छोटी सी मिनी बस खड़ी थी...|
मीरा का घर आज भी पुराने अर्चिटेक्चर का बना था... और ठीक सामने अविरल का घर जो दो माले का था.... मीरा के घर से एक औरत बाहर निकली... गोरा रंग.. चेहरे पर जुरिया और शरीर मे वजन लिए वो एक बुजुर्ग महिला थी... उनके हाथ मे एक ठेला था.... प्रेक्षा को नहीं पता था की उसकी दादी कही जा रही है....|
दादी ने जैसे ही प्रेक्षा और अविरल को देखा और अचंभित हो गयी... प्रेक्षा और अवि दोनों ने दादी के पर छुए...|
दादी उन्हें देख दुविदा मे तो थी पर प्रेक्षा को देखते ही गले लगा लिया.. दादी ने पूछा " तुम लोग तो अगले हफ्ते आने वाले थे ना?....
"हम्म. पर अब कोई काम नहीं था वंहा. तो हमने सोचा घर चलते है "
तभी अविरल के घर से उसके मम्मी पापा बाहर आये... अवि और प्रेक्षा ने उनके भी पर छुए....|
एक बुजुर्ग महिला ने उस मिनी बस मे बैठते हुए कहां "अरे चलो.. लेट हो जायेगा "
"अरे मे नहीं आ पाऊँगी... मेरी पोती आयी है" प्रेक्षा की दादी ने चिल्लाते हुए कहां
आप कंही जा रही है?
हा वो सब महिलाओ ने हरिद्वार जाने का प्लान बनाया था
पर कोई नहीं... कभी और जायेगे"
"इट्स ओके दादी आप जाइये... और मे वैसे भी वेकेशन पुरे होने तक यही हु "
अविरल की माँ ने कहां "हा... आंटी जी आप जाइये हफ्ते भर की तो बात है... और हम है प्रेक्षा के लिए. आप उसकी चिंता ना करें "
दादी कँहा मानने को तैयार थी... पर प्रेक्षा ने उन्हें भेज ही दिया.....|
प्रेक्षा ने दादी को अलविदा कहां ही था की बस के जाते ही एक लड़का बस के पीछे खड़ा था.... उसने स्कूल यूनिफार्म पहन रखी थी.... उसने अचानक प्रेक्षा और अविरल की तरफ दौड़ लगाई....
"कैसे हो भाई...."अविरल को जकड़ते हुए पूछा और फिर प्रेक्षा की और देखा
"पाई लागु भाभी " प्रेक्षा के पेरो को छूटे हुए कहां
"कितना मिस किया मेने तुम लोगो को "उसने रोने का नाटक करते हुए कहां
अविरल ने अपना लगेज लिया और घर के अंदर जाते हुए कह "इलाज करवाइये इसका किसी मेन्टल अस्पताल मे "
अवि की मा ने उसका कान पकड़ा और कहा "राघव... क्या बतमीज़ी है ये. कितनी बार कहां है गधों जैसी हरकतें मत किया कर"
" भाभी "उसने मदद के लिए आवाज़ लगाई पर वहां कोई नहीं था... प्रेक्षा भी अंदर जी चुकी थी |
अगला भाग कल आएगा,तब तक कमेंट मे मुझे बताये की आपको कहानी केसी लगी ✨️
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Rank | Name | Points |
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1 | Srivats_1811 | 1355 |
2 | Manish_5 | 403 |
3 | Kimi writes | 378 |
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6 | Udeeta Borpujari | 86 |
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8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1131 |
2 | Udeeta Borpujari | 551 |
3 | Rahul_100 | 242 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Anshika | 152 |
7 | Kimi writes | 150 |
8 | shruthi.drose | 142 |
9 | aditya sarvepalli | 139 |
10 | Manish_5 | 103 |
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Khushi Rathod on 15 Jan 2024
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