More than friends ( part-4)

More than friends ( part-4)
आज सब एक नए सफऱ पर जाने वाले थे गांव के बाहर एक मिनी वेन थी... वेन के बाहर काफ़ी भीड़ थी.. सब अपना अपना सामान वेन के ऊपर चढ़ा रहे थे... अविरल और प्रेक्षा भी थोड़ी देर पहले ही घर से निकले थे और ठीक उनके पीछे राघव.. जो तीन चार बैग को साथ लिए था...
 
"भाई प्लीज हेल्प कर दे " राघव ने लड़खड़ाते हुए मदद मांगी
"मेने कहां था इसी शर्त पर मै तुम्हे साथ लेकर जाउगा... अगर इतना सा नहीं हो रहा तो छोड़ दे... और घर चले जाओ "अविरल ने चलते चलते पीछे मुड़ते हुए कहां
आगे गरिमा खड़ी थी.. राघव ने कूदते हुए बेग को उठाया और फटाफट चलने लगा और चलते चलते उन दोनों से भी आगे निकल गया |
 
सब लोग अंदर बैठ गए... और गाड़ी रवाना हो गयी...थोड़ी देर बाद सबके फ़ोन के नेटवर्क जाने लगे क्योंकी अब घने जंगल और पहाड़ी इलाके आने लगे...अवि, प्रेक्षा, गरिमा और राघव एक ही लाइन मै बैठे थे..|
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