प्यार, मोहोबत. प्रेम. अलग भाषाओ मे भी प्रेम की वही भावना,पर मेरे लिए कंहा कुछ अलग था. हाँ अलग था भी तो मेरा प्रेम. हम वक्त के साथ कितना आगे निकल जाते है की छोड़ आये बस हमारी कल्पना मे रह जाते है. प्रेम नाम तो हम इंसानों ने दिया है जो एक सीमा तक लगता है पर वो मेरे लिए प्रेम से कंही ज्यादा था.. उदयपुर की बड़ी सी कम्पनी के अकाउंटेन डिपार्टमेंट मे खिड़की से सट्टे वो बाहर हो रही ज़िर्मिर बारिश की बूंदो मे जैसे वो उसे ढूंढती.. समर्थन ये नाम जैसे उसके जिस्म के हर कोने मे बस्ता था खास तोर पर दिल मे.. उसे याद आरहा था किस तरह स्कूल मे जब बारिश होती थी तो क्लास के सारे बच्चे कोरिडोर मे इखट्टा हो जाते.उस भीड़ मे भी समर्थन अपने हाथों का धोबा बना उसने चुल्लू भर पानि लाकर उस पर फेक दिया करता था.. स्कूल मे खाना खाने से लेकर खेलने तक दोनों साथ रहते थे.. जब क्लास के लड़के रेस लगाते थे तो अपनी ज़ेकेट उतार भी वो उसे ही दे जाता था.. ये मौसम उसे हर वक्त उसकी याद दिलाता..
तभी पीछे से एक लड़की जो इसी कम्पनी के एच आर डिपार्टमेंट मे काम करती थी वो उसकी परम मित्र रिया थी.. हाथ मे दो कॉफी के कप लिए उसने पीछे से आते कंहा.." किसके सपनो मे खोई है जिघिषा जी."...चेहरे पर एक मुस्कुराहट लिए उसने कॉफी का कप लिया ओर कंहा " सपनो मे नहीं, उसके खयालो मे खोई हु, तुम्हे क्या लगता है उसे भी याद होंगी मेरी यादें या नहीं "
रिया ने एक गुट चाय का भरा ओर कंहा " जो हुआ उसके बाद लगता नहीं की समर्थन ने कभी तुझे याद किया होंगा, तू पागल है जो उसके खयालो मे खोई रहती है..
ये बात सुनते जिघिषा के चेहरे पर एक दुख सा छा गया जिंदगी मे कंही दफा ऐसी बातें होती है जो हमारे हाथ मे नहीं होती.. ओर वो फिर उन पलो मे खो गयी.. उसे याद था कैसे समर्थन उसके बैग मे हर रोज एक चॉकलेट के साथ चिट्टी छोड़ जाया करता था.. उसे पता होने के बावजूद जिघिषा रोज स्पेशल फील करती.. पहले ओर स्कूल मे होने वाले प्यार के इज़हार कुछ ऐसे ही होते है.. उसकी काफी पर अपना हाथ रखना, एक टिफ़िन से खाना खाना, उसकी जुटी बोतल से पानि पीना.. ये उनकी प्रेम की भाषा थी..एक दिन फिर साल का वो महीना आया.. सर्दियों मे अर्ध वार्षिक परीक्षा के बाद आने वाली सर्दी की छुट्टियां.. जो पंद्रह दिनों से भी ज्यादा की थी..कुछ छुट्टियों से खुश थे तो कुछ दुखी.. जिघिषा सोच रही थी की कैसे वो समर्थन से बात करेंगी..शायद वो उसे देख भी ना पाए.. उस दिन स्कूल के छुट्टी के बाद घर आकर जब उसने अपना बैग खोला तो उसमे फिर एक चॉकलेट थी ओर चिट्ठी भी.. चॉकलेट के कागज को उतार उसने उसे मुह मे डाल चबाना शुरु किया ओर फिर उसने चिट पर लिखा पड़ा.. उसे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आगयी उसने लिखा था की हर शाम को छः भजे वो आएगा मेरे मोहल्ले की तरफ मुझे देखने . ओर तब मे घर से बाहर निकलू किसी काम से.. उसका मन ख़ुशी से भर गया.
अगले दिन शाम को अपना सारा काम निपटा कर वो घर के दरवाजे पर खड़ी हो बाहर की ओर आते जाते लोगो की ओर ताक रही थी.. उसने बोहोत इंतज़ार किया.. अंधेरा छाने लगा..वो वही दरवाजे के पास खड़ी थी पर कोई ना आया.. एक बार के लिए वो फिर अंदर चली गयी की जैसे ही बाहर की ओर से कोई आवाज़ आती वो फिर दौड़ आती.. पर उस दिन वो नहीं आया.. इन पंद्रह दिनों मे एक दिन ऐसा नहीं गया जब जिगीषा ने उसका वेट ना किया हो..सिर्फ वो जानती थी की उसके दिन कैसे गुजरे.. छुट्टियां उसे सालो जैसी लगी.. ओर जब सर्दियों की छुट्टियों के बाद वो स्कूल गयी तो उस दिन उसने समर्थन के फेवरेट कलर का स्वेटर पहना ओर दो चोटियां.. उसने ठीक उसी तरीके से की जिस तरीके से समर्थन उसे रोज करने को कहता था.. ऐसा नहीं था की वो स्कूल लम्बे दिनों बाद जा रही थी पर फिर भी उसके पेट मे एक अलग ही गुदगुदी थी.. इतने दिनों बाद उससे मिलने की, उससे पूछना था की क्यों वो उसके घर की तरफ नहीं आया.. उस दिन स्कूल मे जाते ही उसकी नजरें समर्थन को ढूंढ रही थी पर वो कंही नहीं दिखा.. क्लास का वक्त हो चला था.. किसी को उसके बारे मे कुछ मालूम नहीं था..जब कक्षा के टीचर आये तो उन्होंने बताया की समर्थन का परिवार कंही ओर शिफ्ट हो गया.. ओर उसका भी ट्रांसफर करवा दिया गया.. ये सुनकर ही जिघिषा के पेट मे भारी गुदगुदी अब उसकी आँखो मे भरने लगी.. उस दिन जिघिषा ने आकर अपना बैग देखा पर आज वो खाली था जिस चीज की तलाश वो कर रही थी वो नहीं थी.. बस उस दिन से लेकर आज तक उसने ना ही समर्थन को देखा ओर ना ही उससे कभी बात हुई.. पर वो आज भी उसकी कल्पनाओ मे था.. उसे खुद ना मालूम था की वो कितना प्रेम कर बैठी थी अपने उस बचपन के प्यार से '
रिया ओर जिघिषा ऑफिस से घर की ओर जा रहे थे, तभी जिघिषा के फ़ोन पर एक मेसेज आया.. ओर वो वंही रुक गयी..ये उसकी स्कूल की एक सहेली दीक्षा का था उसने एक नोयता भेजा था स्कूल रीयूनियन पार्टी का.. ओर साथ मे लिखा था समर्थन भी आरहा है.. रिया ने जब मेसेज देखा तो वो जिघिषा के आसपास ख़ुशी से नाचने लगी.. "क्या बात है. सालो बाद आखिर वो दिन आ ही गया जब हमारी जुलिअत अपने रोमियो से मिलेगी.." . अगले दिन रिया, जिघिषा को शॉपिंग पर ले गयी ओर उसे अच्छी सी ड्रेस दिलवाई..अगले दिन रात को एक बड़े होटल मे पार्टी रखी गयी थी.. जिघिषा मे एक परपल कलर की ड्रेस पहनी थी ओर ओर लम्बी सी हिलस.. उसे आदत नहीं थी हिलस की पर रिया के लाख बार मानाने पर उसने पहन ली,रिया ने उसके बाल ओर चेहरे दोनों को सवार लिया था.. उसने वंहा जाके अपनी तलाश जारी कर दी.. हर एक लड़के को देख उसे लगता की कंही ये ही तो समर्थन नहीं.. पर फिर किसी हिचकिचाहट से कहती नहीं ये नहीं.. पार्टी शुरुआत हुए आधे घंटे से ऊपर हो गया पर उसे कंही समर्थन नहीं दिखा.. जब सब खाने के लिए बैठे तो उसे दीक्षा दिखी.. " अरे वाह हमारी जग्गू तो कमाल लग रही है "
दीक्षा ने जिघिषा की तरफ आते कंहा
"वो सब तो ठीक है पर वो कंहा है.. " जिघिषा ने धिरे से दीक्षा के कान मे कंहा
"कौन कंहा है". दीक्षा ने जिघिषा के सामने जोर से कंहा
"अच्छा तुम समर्थन की बात कर रही हो.. उसने इतना जोर से कंहा की पूरी पार्टी के लोग उसकी तरफ देखने लगे.."
जिघिषा ने उसे इशारा करते हुए कंहा "धिरे बोल"
"अरे इसमें क्या धिरे.. " दीक्षा ने अपने गिलास को एक चम्मत से टकराते आवाज़ की ओर सब लोगो को इखट्टा कर दिया..
"हेलो फ्रेंडस... दीक्षा ने कंहा
जिघिषा ने उसे रोकने की कोशिश की पर वो नहीं मानी
"तो आज हमारे बिच मौजूद है.. हमरी क्लास की जुलिअत.. जिसे उसके रोमियो ने बिना कुछ कहे छोड़ दिया.. तो हमरी जुलिअत आज भी उसके इंतज़ार मे है.."
"स्टॉपीट दीक्षा.. its इनफ.". जिघिषा ने उसे रोकते कंहा..
"मै तो सिर्फ मज़ाक कर रही थी.. क्यों तुम इतना हाइपर हो रही हो "दीक्षा ने गिलास निचे रखते कंहा ओर आसपास के सब लोगो को देखने लगी
"ये मज़ाक नहीं है दीक्षा.." जिघिषा ने गुस्से से उसकी तरफ देखा ओर वंहा से जाने लगी
दीक्षा को लगा की जिघिषा उसे निचा दिखा रही है उसने उसका हाथ पकड़ लिया ओर उसे रोकते कंहा " तुम्हे क्या लगता है, कोई टीवी सीरियल चल रहा है.. वो कभी नहीं आएगा तुम्हारे पास ओर आएगा भी तो पक्का तुम जैसी लड़की के साथ तो बिलकुल नहीं रहेगा "
जिघिषा ने अपना हाथ छुड़ाया ओर कंहा.. इट्स नन ऑफ़ यूर बिजनेस
"हाँ जाओ जाओ.. तुम्हे क्या लगता है..तुम ये सब नाटक करके चली जाओगी ओर मे कुछ नहीं कंहूँगी.. "दीक्षा ने एक वाइन का ग्लास लिया.. ओर जिघिषा पर फेक दिया.. उसकी पूरी ड्रेस ख़राब हो गयी.. उसने ड्रेस को साफ करते कंहा.. आर यू आउट ऑफ़ माइंड. "
दीक्षा उसके पास आ ही रही थी की एक लम्बे कद वाला युवक.. जिसने फॉर्मल पहन रखे थे उसने अपना कोट निकल जिघिषा के कंडो पर ओड़ा दिया.. ओर उसके पास होते हुए उन दोनों के बिच आकर खड़ा हो गया" जिघिषा ने सर उठाकर देखा वो उसके कंदे तक आरही थी उसकी आँखो मे आंसू थे पर उसे उस इंसान की खुशबु याद थी.. उसकी आँखो से आंसू आने लगे..वो समर्थन ही था.. पर कुछ बदला सा.. थोड़ा लबा ओर ज्यादा खूबसूरत नौ जवान.. समर्थन ने आगे आते कंहा " इनफ इस इनफ.. हाउ देर यु टू टॉक हर लाइक डिस " उसने पार्टी मे मौजूद हर इंसान की बोलती बंद कर दी.. पर जिघिषा अब भी उसे देखे जा रही थी.. समर्थन पीछे मुड़ा उसने देखा जिघिषा की छोटी छोटी आँखो मे पानि था जो एक एक करते बाहर आरहा था वो उसे ही देखि जा रही थी.. इससे पहले वो कुछ कहता जिघिषा ने अपनी टाँग को समर्थन के पैरो पर मारा.. समर्थन ने एक आह भरी.. ओर जिघिषा वंहा से चली गयी..
जिघिषा होटल से बाहर आगयी.. समर्थन जोखिम पैर के साथ जिघिषा के पीछे पीछे चला गया.." जिघिषा मेरी बात तो सुनो.. जिघिषा "
वो बिना कुछ बोले चले जा रही थी.". जिघिषा.... "उसने फिर से पुकारा..
"क्या है.." जिघिषा ने गुस्से मे पलटते कंहा
समर्थन रुक गया.." वो कुछ नहीं मेरा ज़ेकेट.. "उसने कंहा
जिघिषा ने अपने कंधे पर समर्थन का ज़ेकेट देखा ओर उसे उतार कर उसकी तरफ फेक दिया.. "ये लो"
समर्थन मुस्कुराने लाग.. "मेरी बात तो सुनो.".
"क्या क्या कहोगे तुम.. कोई ना कोई बहाना तो होगा तुम्हारे पास.. कंहा थे इतने साल.. कैसे थे.. मुझे कुछ नहीं जानना.. " जिघिषा ने रोते हुए कंहा
समर्थन आगे बड़ा उसने जिघिषा को फिर वो ज़ेकेट ओड़ाई ओर कंहा.. "तुमने अभि जो जो पूछा मे सब बताऊंगा. कंही बैठ जाये."
हॉटेल के गार्डन पर जिघिषा ओर समर्थन दोनौ बैठे थे.. समर्थन ने अपने हाथों को मलना शुरुआत कर दिया " आईएम सॉरी जिघिषा..मुझे तुम्हे इन्फॉर्म करना चाहिए था.. उस दिन जब मे स्कूल से घर गया तो पता चला पापा का ट्रांसफर हो गया है. मैंने कोशिश की तुम्हे बताऊ पर अगले ही दिन हमें निकलना था.. पिछले साल मुझे तुम्हारे नंबर भी मिले पर सोच रहा था कैसे कहूंगा.. क्या कहूंगा.. ओर आज जब मौका मिला तो तुम....."
जिघिषा ने गुस्से से उसकी तरफ देखा..
"हाँ तुम्हारा गुस्सा होना जाहिस है.. मे मानता हु पर अब पक्का मे तुम्हे छोड़ कर कंही नहीं जाऊंगा.". समर्थन ने उसके हाथ जिघिषा के हाथ मे पकड़ लिया.. जिघिषा ने हाथ छुड़ाया ओर वंहा से चली गयी.. रास्ते मे ज़ब वो जा रही थी समर्थन एक कार लेकर पीछे से आया उसने कार ठीक उसके सामने रोक दी.." आईएम सॉरी यार.. मे मानता हु मेरी गलती है पर ऐसे इतनी रात को अकेले घर जाओगी.. मे ड्राप कर देता हु ना "
जिघिषा ने कंहा "मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी लिफ्ट." . ओर आगे बढ़ गयी..
समर्थन ने गाढ़ी रोकी ओर बाहर निकल कर ठीक जिघिषा के सामने खड़ा हो गया.. "लगता है मैडम ऐसे नहीं मनोगी उसने जिघिषा को गोद ने उठा लिया ओर उसे कार की सीट पर बिठा दिया.. ओर सीट बेल्ट लगा दिया.
"ये क्या जबर दस्ती है." जिघिषा ने कंहा
"तुम्हे सही सलामत घर छोड़ना अब मेरी ज़िम्मेदारी है चले.. " समर्थन ने एक मासूमियत भरी मुस्कान मे कंहा
पुरे रास्ते दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कंहा.. समर्थन ने रेडिओ पर गाने चला दिए पुराने वाले. उनके वक्त वाले.... उसे घर ड्राप कर वो चला गया जिघिषा ने घर आते ही अपने दिल पर हाथ रख दिया उसका दिल अभि भी जोरो से धड़क रहा था.. उसने अपनी ड्रेस चेंज की ओर फिर आज की सारी घटना उसने रिया को बताने के लिए फ़ोन करना चाहा.. उसने जब अपना पर्स निकाला तो एक बड़ी सी केड़बारी चॉकलेट थी ओर एक चिट उससे चिपकाई हुई थी.. उसने उसे खोला तो अंदर समर्थन ने अपना नंबर लिखा था.. जिघिषा के चेहरे पर मुस्कान आगयी.. ओर वो पागलो की तरह अपने पलग पर ख़ुशी के मारे लौटने लगी..
बस इतनी सी थी ये कँहानी
The magic you looking for.. It's in the work you are avoiding ✨️
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1355 |
2 | Manish_5 | 403 |
3 | Kimi writes | 378 |
4 | Sarvodya Singh | 116 |
5 | AkankshaC | 93 |
6 | Udeeta Borpujari | 86 |
7 | Rahul_100 | 68 |
8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1131 |
2 | Udeeta Borpujari | 551 |
3 | Rahul_100 | 242 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Anshika | 152 |
7 | Kimi writes | 150 |
8 | shruthi.drose | 142 |
9 | aditya sarvepalli | 139 |
10 | Manish_5 | 103 |
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Abby Abby on 15 Feb 2024
good one