बरसो से बादल हड़ताल पे थे.. कड़कती धुप थी.. लू से भरी हवाएं ओर हवा मे उड़ती रेत.. उसके पैदा होने से आजतक लक्ष्मी ने आजतक बारिश नहीं देखि.. कैसे बादल होते है.. केसा इंदारधनुष.. केसी बरखा.. ये कहानी है राजस्थान के मरू की.... जो रेत के तालाब मे डूबा हुआ था.. लक्ष्मी यही के एक कुम्हार की बेटी थी.. जब जन्मी तब ख़ुशी से सो मटके बनवाके गाम मे बिटवाये.... पानि से भरके.... पर उसके बाद ना ही बरखा हुई ओर ना ही वो मटके फिर भरे.. लोग लक्ष्मी को अक्सर टोंट कस्ते थे.. उनका कहना था की इसका जन्म शुभ नहीं था मरू के लिए.. ओर बस पीरा गाम उसके पीछे थे.. कोई कसर नहीं रखता ये बताने मे की उसने जन्म के वक्त मा को खो दिया... ओर तीन चार बर्श मे पिता को.. पर पुरे गाम मे बस एक कवित था जो उसे बाकि सब से अलग नज़रो से देखता ही ना बल्कि उसका व्यवहार भी उसके प्रति अलग था.. कवित गाम के सरपंच का बेटा था वो ओर लक्ष्मी एक ही उम्र मे थे..दोनों बच्चों मे साथ खेला करते थे.. ओर वक्त के साथ दोनों एक दूसरे से प्रेम कर बैठे.. ये जानते हुए भी की शायद ही लक्ष्मी को कवित के परिवार वाले अपनाएं.. पर कवित वो कंहा किसी की मनता.. उसे प्रेम था लक्ष्मी से.. वो हमेशा उससे कहता की वो उसे शहर ले जायेगा इन सब से बोहोत दूर.. ओर लक्ष्मी हर बार हस्ते कहती.. अरे ना कवित बाबू.. पता चला शरह मे अकल आ पड़ा.. कवित उसे डाटते हुए गुस्से से देखता.. ओर लक्ष्मी उसे मानाने के लिए कहती.. अच्छा बाबा.. माफ़ी देदो.. वो क्या कहते है शहरों मे सररी.. ओर दोनों साथ मे हस पड़ते..|
दोनों का प्यार वक्त के साथ गहरा ओर अटूट होता गया.. ओर एक वक्त आया जब सरपंच बाबू ने ज़िद्द कर कवित को शहर पड़ने भेज दिया.. ये वक्त दोनों के लिए ऐसा था जंहा एक लम्बी जुदाई थी.जाने से एक रात पहले कवित ओर लक्ष्मी दोनों गांव के बाहर बानी एक सराई पर मिले थे.. जाने की बात सुन लक्ष्मी की अक्षु डराहे चालू हो गयी.. कवित हस्ते हुए कहने लगा.. अरे पगली मे कंहा वंहा जाकर नई लक्ष्मी ले आऊंगा.. अरे वंहा जाकर मे एक बड़ा अफसर बनकर तुम्हे भी यंहा से ले जाऊंगा.. ओर तुझे भरोसा है ना अपने कवित पर.. लक्ष्मी मे अपने आंसू पूछे ओर कवित के गले जा लगी.. कवित कहने को तो लक्ष्मी को अपने आंसू नहीं दिखा रहा था.. पर उसका जीव भी उतना ही दुख रहा था.. उस दिन वो दोनों पूरी रात रेत के टिल पर खुले साफ.. तारों से भरे आसमान को देख आने वाले अनदेखे भविष्य की कल्पना भारी बातें कर रहे थे..
कवित को शहर गए महीने बीत गए.. कभी काबर डाक आटा था.. पर वो भी लक्ष्मी तक नहीं पोहोच पता.. एक दो खट आये जिसमे कवित वैसी ही हसीं मज़ाको ओर लक्ष्मी को हर पल याद करने की बातें लिखता था.. कुछ दूरिया हमें ओर नज़दीक लती है.. ठीक वैसे ही इन दोनों के साथ भी था...
एक दिन रात के वक्त लक्ष्मी अपने छोटे से घर मे सोइ थी.. अचानक किसी ने उसका गेट खटखताया.. एक बार के लिए वो चौक उठती.. फिर बाहर एक आवाज़ सुनी.. लक्ष्मी..ओ लक्ष्मी.. उसे आवज़ जानी पहचानी सी लगी.. कौन... कौन है...अरे लक्ष्मी मे थोड़े दिनों शरह क्या गया तुम मेरी आवाज़ भूल गयी.. लक्ष्मी ने दरवाज़ा खोला तो बाजार कवित खड़ा था.. इससे पहले वो कुछ समझती कवित ने उसे अपनी बाहो मे जकड लिया.. लक्ष्मी की अक्ष डराये छुट गयी.. पगली.. हम तुम्हे रुलाने थोड़ी आये थे.. उसने लक्ष्मी का हाथ पकड़ा ओर गाँव के बाहर ले गया उसी सराई पर जंहा वो मिला करते थे.. लक्ष्मी पुरे रास्ते पूछा रही थी हुआ क्या पर कवित ने कुछ ना बताया.. सराई पर जाकर लक्ष्मी ने महसूस किया... आज वातावरण बोहोत ठंडा सा है.. ओर हलकी नमी भी लाग रही ही.. इस ओर सूरज निकले को तैयारा था पर आज उसकी लालिमाये भी फीकी नज़र आरही थी.. कवीण ने उसे जमीन की तरफ इशारा किया.. मिट्टी उड़े जा रही थी.. ऊपर आसमान मे देखा तो बादल चाये थे जो पुरे लाल दिखाई दे रहे थे.. उसने कवित की ओर देखा ओर पूछा ये क्या हो रह है.. वोही जिसका हमें ओर सबको इंतज़ार था.. सुना है अरब सागर मे तूफान आया ओर उसका प्रभाव मरू पर भी है... लक्ष्मी उसे देखे जा रही थी.. कविता की एक भी बात उसके पल्ले ना पड़ी.. अरे मेरी पगली.. आज बरखा होंगी.. ऊपर जो तुझे ये बादल दिख रहे है उनमे ोानी है जो थोड़ी देर बढ़ आने ही वाला है.. लक्ष्मी एकतक उन बादलो की यराफ देखने लगी.. पर आप अचानक कैसे आये.. कवित ने बात को काटते कंहा.. लक्ष्मी देख बुँदे गिरने लगी.. लक्ष्मी ने महसूस किया रेत पर जगह जगह बड़े बड़े पानि की बुँदे डायरेक्ट रही थी ओर कुछ बूंधे उस पर भी आगिरी.. लक्ष्मी की पहली बारिश थी... उसने अपनी नज़रे कवित की तरफ गुमा दी.. ओर एक आशा थी उसके मन मे की शायद अब अब कोई उसे उस नज़र से नहीं देखेगा ओर वो अपना जीवन कवित के साथ बिता सके.. कवित ने लक्षित के हाथों की उंगलियों पर अपना हाथ जकड लिया ओर वादा किया.. मे हमेशा तुम्हारे साथ हु... चाहे कितना भी दूर चला जाऊ.. ओर इसी के साथ दोनों की आँखो मे आंसू आने लगे..
आज का भोर अलग था.. चारो तरफ गीली मिट्टी ओर प्रेम की खिशबू थी.. कवित ने लक्ष्मी को घर जाने को कंहा.. लोगो के उठने का समय हो चला था.. ओर एक चच्चाती चिड़िया की भाती वो गाँव की तरफ चल दी.. पर आज गाँव मे रोजना की तरह वो चच्चात नहीं थी..लोगो के चेहरों पर ख़ुशी नहीं थी... इस बारिश की.. सब लोग सरपंच के घर के बाहर इखट्टा थे.. उसने पूछा एक चाची से तो पता चला सरपंच के घर शोख हुआ है.. शरह से खबर मिली है की कवित बाबू इस दुनिया मे नहीं रहे..ये सुनते ही लक्ष्मी को यकीन ना हुआ.. कवित भाभू से वो अभि तो मिलकर आयी तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है.. वो मानने को तैयार नहीं थी पर जब अंदर टीवी के डिब्बे मे बता रहे थे की.. जयपुर मे एक बड़े हमले मे बोहोत लोग मारे गए..ओर उन लोगो की लिस्ट मे कवित का भी नाम था.. वो लंगड़ा सी गयी... बेचैन भारी हालत मे वो दौड़ते हुए सराई के पास गयी तो वंहा कोई ना था.. सुबह का सन्नाटा छाया था.. जोर जोर से कवित का नाम पुकारने लगी.. पर कोई नहीं था वंहा.. बादल जोर जोर से आवाज़ कर रहे थे.. मानो कवित उसकी हर पुकार पर उसे जवाब दे रह था.. बेचरी ओर बेसहाय होकर वो जमीन पर गिर पड़ी.. ओर जोर जोर से विलाप करने लगी ओर इधर बारिश का तूफान शुरा हु गया.. तेज बारिश मे ने भीगति हुए उस मिट्टी मे खुदको लपेटने लगी जंहा कवित खड़ा था.. बारिश लम्बे समय तक चली.. एक बस आकर सराई पर रुकी.. यात्रियों ने जब लक्ष्मी को देखा तो सबने उतारकर.. उसके उथान चाहता पर देर हो चुकी थी.. अपने प्रेमी की तलाश मे उसने वही दम तोड़ दिया.. तुरंत गाँव वालों को सुचना दी गयी.. उसका दाह संस्कार करने के लिए कोई ना था..शाम तक कवित के देह को भी शहर से गाव लाया गया ओर सरपंच द्वारा दोनों की चिता को सारः मे अग्नि दी गयी.. धरती पर ना सही पर शायद ये प्रेम का जोड़ा किसी ओर दुनिया मे जरूर खिलेगा....
( अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आई है तो प्लीज मुके कमेंट मे बताएगा और जल्द ही मे सात लघु कहानियों कई एक सीरिस लेकर आ रही हु.. प्लीज आपका स्पोर्ट बनाये रखियेगा.. कीप रीडिंग :)
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Rank | Name | Points |
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1 | Srivats_1811 | 1355 |
2 | Manish_5 | 403 |
3 | Kimi writes | 378 |
4 | Sarvodya Singh | 116 |
5 | AkankshaC | 93 |
6 | Udeeta Borpujari | 86 |
7 | Rahul_100 | 68 |
8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1131 |
2 | Udeeta Borpujari | 551 |
3 | Rahul_100 | 242 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Anshika | 152 |
7 | Kimi writes | 150 |
8 | shruthi.drose | 142 |
9 | aditya sarvepalli | 139 |
10 | Manish_5 | 103 |
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