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अंजान सफर !
अंजान सफर पर भी कभी निकला करो,
जाने पहचाने रास्ते पर तो सभी चलते है!
क्या पता अनदेखे मंजर तुम्हे ले जाए उस मुकाम पर,
जो कभी तुम्हारे गहरे सपनों का हिस्सा हो!
तुम्हें मिल जाए कोई इक हम नवां,
जो बन के तुम्हारा हम कदम कर दे आसान ये सफ़र नया!
किसे पता सफ़र ये कितना जुदा ,
जहाँ मुसाफिर मिलने लगे और आगे बढ़ता रहे ये कारवाँ!
सफ़र में रुक जाना गँवारा नहीं,
चाहे सफर में हो धूप या आए कोई तूफ़ान बड़ा!
ये अनजान सफ़र शायद बने सपनो का इक काफिला,
तू इस सफ़र से ना आंख चुरा, इसे तू आजमा के देख जरा!
Solitary pursuit of Optimism and peace!
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Kimi writes | 378 |
2 | Srivats_1811 | 287 |
3 | Manish_5 | 105 |
4 | AkankshaC | 93 |
5 | Udeeta Borpujari | 86 |
6 | Rahul_100 | 68 |
7 | Rahul Gupte | 66 |
8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 311 |
2 | Rahul_100 | 244 |
3 | Udeeta Borpujari | 209 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Rahul Gupte | 171 |
7 | Anshika | 152 |
8 | Kimi writes | 150 |
9 | shruthi.drose | 142 |
10 | aditya sarvepalli | 139 |
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