OR
दिसंबर का महीना... रविवार का दिन...
और गली में बच्चों का शोर
धूप में बैठे हुए
माँ के सिर पर तेल मालिश करते हुए
यूं ही एक सवाल पूछा
माँ, आप बचपन में कैसी थीं?
और तब हुआ सिलसिला शुरू
खेतों में फल चुराने और
भाई बहनों के साथ शैतानियां करने से लेकर
गुरुजी की नाक में दम करने तक का
यह किस्से सुनाते हुए उनकी आँखों की चमक
और आवाज़ में उत्सुकता
वह कभी कभार दिखाई-सुनाई पड़ती है
तब..
जब वह मेरे बचपन की बातें करती हैं
शुरुआती बचपन भला किसी ही याद रहता है
पर जब माँ वह कहानियाँ सुनाती हैं
तो मैं अपने बचपन को फिर से जी लेती हूँ
उस 'मैं' से 'तुम लोग' तक के सफर में
ना जाने माँ कितनी बदल गई होंगी
उनके बचपन की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है
पर मुझे लगता है की वह कुछ मेरे जैसी ही रही होंगी
या फिर... मैं... उनके जैसी"
Be afraid but do it anyway.
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1355 |
2 | Manish_5 | 403 |
3 | Kimi writes | 378 |
4 | Sarvodya Singh | 116 |
5 | AkankshaC | 93 |
6 | Udeeta Borpujari | 86 |
7 | Rahul_100 | 68 |
8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1131 |
2 | Udeeta Borpujari | 551 |
3 | Rahul_100 | 242 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Anshika | 152 |
7 | Kimi writes | 150 |
8 | shruthi.drose | 142 |
9 | aditya sarvepalli | 139 |
10 | Manish_5 | 103 |
Feedback
Srivats_1811 on 16 May 2024
Beautiful 😊