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मेरी पहली होली
भेदभाव का काला रंग मिटेगा,
विश्व शांति के गुलाबी गुलाल में सिमटेगा।
आज कोई खूबसूरत चेहरा ना होगा,
ना ही किसी के चेहरे पर बदसूरती का पहरा होगा।
मिठास मिठाई तक सीमित न होकर,
लोगों के हृदय में स्थित रहेगा।
थका हुआ शरीर आज आराम नहीं दिखेगा,
हर स्तर के मिष्ठान का स्वाद चकेगा।
आज वह छिपा हुआ तारा भी देगा दिखाई ,
जिसने साल भर अंधकार में दिन है बिताई।
आज पूरा भारत एक साथ चलेगा,
आज पूरा भारत एक साथ होली खेलेगा।
कंधे की ऊंचाई और कद में फर्क हो सकता है,
पर रफ्तार सभी जनों का एक समान होगा।
बिंदेश कुमार झा
Rank | Name | Points |
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1 | Srivats_1811 | 1355 |
2 | Manish_5 | 403 |
3 | Kimi writes | 378 |
4 | Sarvodya Singh | 116 |
5 | AkankshaC | 93 |
6 | Udeeta Borpujari | 86 |
7 | Rahul_100 | 68 |
8 | Anshika | 53 |
9 | Srividya Ivauri | 52 |
10 | WriteRightSan | 52 |
Rank | Name | Points |
---|---|---|
1 | Srivats_1811 | 1131 |
2 | Udeeta Borpujari | 551 |
3 | Rahul_100 | 242 |
4 | AkankshaC | 195 |
5 | Infinite Optimism | 179 |
6 | Anshika | 152 |
7 | Kimi writes | 150 |
8 | shruthi.drose | 142 |
9 | aditya sarvepalli | 139 |
10 | Manish_5 | 103 |
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Rahul Gupte on 22 May 2024
Intresting